B.Com. Semester-V MONETARY THEORY AND BANKING IN INDIA - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीकाम सेमेस्टर-5 भारत में मौद्रिक सिद्धान्त एवं बैंकिंग - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-5 भारत में मौद्रिक सिद्धान्त एवं बैंकिंग

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2809
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बीकाम सेमेस्टर-5 भारत में मौद्रिक सिद्धान्त एवं बैंकिंग - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- संस्थागत साख के आवंटन को निर्धारित करने वाले वित्तीय एवं गैर- वित्तीय घटकों को स्पष्ट कीजिए।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. संस्थागत साख के आवंटन को निर्धारित करने वाले वित्तीय घटकों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

संस्थागत साख के आवंटन को निर्धारित करने वाले वित्तीय घटक
(Financial Factors Affecting the Allocation
of Institutional Credit)

संस्थागत साख के आवंटन को निर्धारित करने वाले वित्तीय घटक निम्नलिखित हैं-

1. शुद्ध प्रत्याय की दर (Net Rate of Return) - कुल ब्याज की राशि में से ऋण सम्बन्धी सेवा लागत घटाने के बाद हमको शुद्ध प्रत्याय की दर प्राप्त होती है।

अर्थात्-

शुद्ध प्रत्याय दर (NRR) = ब्याज राशि - सेवा लागत

यह ब्याज दर एवं शुद्ध प्रत्याय दर ही संस्थागत साख का अकेला आवंटक है, लेकिन वास्तविक जीवन में संस्थागत ऋण की ब्याज दरें वस्तुतः प्रशासित कीमतें होती हैं।

ये उधारकर्ताओं और गैर-उधारकर्ताओं के बीच मात्र अन्तर व्यक्त करती हैं। जो उधारकर्ता दी गई ब्याज की दर पर ऋण नहीं लेना चाहते हैं, वे स्वयं बाजार से अलग हो जाते हैं। इस प्रकार उधारकर्ताओं के बीच जो भी प्रशासित ब्याज दर होती है वह राशनिंग का कार्य करती है, लेकिन जो उधारकर्ता ब्याज दर पर ऋण प्राप्त करते हैं उनको ऋण का आवंटन स्वयं प्राप्त होता है।

2. भुगतान न होने का जोखिम (The Risk of Default) - ऋण का भुगतान करने के बारे में दो प्रकार की प्रतिज्ञाएँ होती हैं-

(i) उधार ली गई मूल राशि का भुगतान करना
(ii) उधार ली गई राशि पर ब्याज देना।

ये दोनों प्रतिज्ञाएँ ऋण संविदा में लिखी जाती हैं लेकिन भुगतान करने की प्रक्रिया का सम्बन्ध भविष्य से होता है। अतः इस बात का जोखिम कि भविष्य में एक अथवा दोनों ही प्रतिज्ञाओं की पूर्ति उधारकर्ताओं द्वारा न हो तो ऐसे जोखिमों का भुगतान न होने को जोखिम कहते हैं।

सामान्यतया भुगतान करने पर सरकारी ऋणों का जोखिम शून्य होता है परन्तु व्यक्तिगत पार्टीज को देने वाले उधार पर भुगतान न होने पर जोखिम अवश्य रहता है तथा ऋणदाता की यह सर्वप्रथम चिन्ता होती है कि ऋण प्राप्त करने पर कितना जोखिम है और अगर यह ऋण वापस नहीं मिला तो न्यायपालिका द्वारा उसको कितनी मदद मिलेगी तथा न्यायालय की कार्यवाही में कितना अत्यधिक समय लग सकता है।

व्यापार की शोधन क्षमता का मूल्यांकन करने के लिये निम्नांकित वित्तीय अनुपातों का उपयोग किया जाता है-

(i) समता ऋण अनुपात (Debt - Equity Ratio) - यह अनुपात ऋणदाताओं तथा स्वामियों की सम्पत्तियों के विरुद्ध सापेक्षिक दायित्व को प्रस्तुत करता है तथा दूसरे शब्दों में, यह अनुपात आन्तरिक कोषों एवं बाह्य कोषों के आपसी सम्बन्ध को व्यक्त करता है। इसलिए इसे बाह्य- आन्तरिक समता अनुपात भी कहते हैं।

                                                Total Debts
Debt - Equity Ratio = --------------------------------------------
                                      Share holder's Funds or Net Worth

(ii) शोधन क्षमता अनुपात - यह अनुपात व्यवसाय की शोधन क्षमता की माप करता है। इसक अर्थ है कि यदि व्यवसाय का समापन हो जाए तो उसकी सम्पत्तियों से दायित्वों का भुगतान हो पाएगा नहीं। यह अनुपात यह बताता है कि सम्पत्तियों में कितने प्रतिशत भाग की ऋण द्वारा वित्त की व्यवस्था गई है। यदि इनमें से 100 स्वामित्व अनुपात को घटा दिया जाए तो शोधन क्षमता अनुपात प्राप्त हो जाएगा, सूत्र की गणना इस प्रकार है -

                                  Total Debts
Solvency Ratio =  ----------------
                                 Total Assets

3. प्रतिभूतियाँ (Securities) - केवल इस बात का मूल्याँकन करना आवश्यक नहीं होता है कि उधारकर्त्ता की वित्तीय स्थिति क्या है क्योंकि कभी-कभी शोधन की क्षमता अच्छी होते हुए भी वह ऋण का भुगतान नहीं करता है तब ऋणदाता के लिये ब्याज की दर प्राप्त करना अत्यन्त कठिन होता है। इसलिए ऋणदाता ऋण देने पर उपयुक्त प्रतिभूति अपने पास रखकर ऋण देता है। ऐसे दिये जाने वाले ऋणों को सुरक्षित ऋण कहते हैं।

ऋणदाता प्रतिभूति सम्पत्तियाँ जैसे भूमि, भवन, आभूषण, सरकारी संस्थाओं की विपणन योग्य प्रतिभूतियों की जमानत पर ही ऋण देते हैं। जमानत के रूप में दिये गये ऋण को ही प्रतिभूति कहते हैं।

प्रतिभूतियाँ दो प्रकार की होती हैं- (1) प्राथमिक प्रतिभूति (2) द्वितीय समपार्श्विक प्रतिभूति।

प्राथमिक प्रतिभूति उस प्रतिभूति को कहा गया है जो मुख्यतः ऋण सुरक्षित रखती है और यह प्रतिभूति ऋणी द्वारा प्राप्त की जाती है। इस प्रतिभूति पर ऋणदाता का प्रथम अधिकार होता है तथा ऋणी से ऋण की सुरक्षा के लिये जो अन्य प्रतिभूति प्राप्त की जाती है वह समपार्श्विक प्रतिभूति कहलाती है।

यह उल्लेखनीय है कि ऋणी जो सम्पत्ति प्रतिभूति के रूप में देता है उस प्रतिभूति पर ऋणदाता के वैधानिक अधिकारों का सृजन होना चाहिए।

अधिनियमों के अनुसार ही सम्पत्ति पर अधिभार का सृजन किया जाना चाहिए। अधिकार के सृजन की निम्नलिखित विधियाँ हैं रेहन अधिकार, बन्धक, गिरवी और रेहन। इन विधियों की अन्य वैधानिक विशेषताएँ हैं इनका उपयोग प्रतिभूति के रूप में किया जाता है। उदाहरण अचल सम्पत्तियाँ ऋणदाता के नाम पर बन्धक के रूप में रख ली जाती हैं लेकिन चल सम्पत्तियाँ ऋणदाता के पास रेहन व गिरवीं के रूप में रख ली जाती हैं।

4. मार्जिन आवश्यकताएँ (Margin Requirements) - प्रतिभूतियों की जमानत पर ऋणदाता द्वारा ऋण देते समय पर्याप्त मार्जिन होना चाहिए। यहाँ मार्जिन से आशय दी गयी प्रतिभूति का बाजार मूल्य तथा उसके आधार पर दी गयी अंग्रिम राशि के बीच अन्तर से है।

माना कि किसी प्रतिभूति का बाजार मूल्य 10,000 रु. है जबकि ऋणदाता जब प्रतिभूति की जमानत पर ग्राहक को 8,000 रु. अग्रिम राशि स्वीकृत करता है। 

अतः ऋणदाता 2,000 रु. मार्जिन रखकर ऋण देता है। क्या यह भी कहा जा सकता है,

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- "मुद्रा वह धुरी है जिसके चारों ओर सम्पूर्ण अर्थतंत्र चक्कर लगाता है।" कथन को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- समाजवादी एवं नियोजित अर्थव्यवस्था में मुद्रा का क्या महत्व है?
  3. प्रश्न- मुद्रा का आशय एवं परिभाषा बताइये तथा उसके कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- मुद्रा के मुख्य कार्य कौन-कौन से हैं? मुद्रा के द्वितीयक कार्य क्या होते हैं?
  5. प्रश्न- मुद्रा के आकस्मिक कार्यों का वर्णन कीजिए। पॉल इन्जिंग ने मुद्रा के कार्यों को कितने भागों में बांटा है?
  6. प्रश्न- मुद्रा की परिभाषा से सम्बन्धित विभिन्न दृष्टिकोण क्या हैं? मुद्रा के प्रमुख लक्षण बताइये।
  7. प्रश्न- "मुद्रा कई बुराइयों की जड़ है।" क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  8. प्रश्न- मुद्रा की पूर्ति से आप क्या समझते हैं? इन्हें प्रभावित करने वाले कारकों तथा पूर्ति के मापन की विधियां बताइये।
  9. प्रश्न- मुद्रा पूर्ति के मापक व संघटक बताइये।
  10. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा से क्या तात्पर्य है? उच्च शक्ति मुद्रा के संघटकों की विवेचना कीजिए।
  11. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा के संघटकों की विवेचना कीजिए।
  12. प्रश्न- मुद्रा के मूल्य से आप क्या समझते हैं? यह कैसे तय होता है?
  13. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा सामान्य मुद्रा (संकुचित मुद्रा) से किस प्रकार भिन्न होती है?
  14. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा एवं सामान्य मुद्रा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- मुद्रा की माँग से आप क्या समझते हैं? मुद्रा की माँग किन-किन बातों से प्रभावित होती है?
  16. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा के उपयोग व महत्व को बताइये।
  17. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा के स्रोत क्या हैं?
  18. प्रश्न- भारत में वित्तीय प्रणाली को सविस्तार समझाइये।
  19. प्रश्न- वित्तीय प्रणाली की विशेषताएं बताइये।
  20. प्रश्न- वित्तीय प्रणाली के संघटक क्या हैं?
  21. प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि वित्तीय प्रणाली आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।.
  22. प्रश्न- वित्तीय मध्यस्थ से आप क्या समझते हैं? वित्तीय मध्यस्थों के कार्यों का वर्णन कीजिए। "वित्तीय मध्यस्थ प्रतिभूतियों के व्यापारी होते हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  23. प्रश्न- वित्तीय मध्यस्थों की कार्य एवं भूमिका का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- बैंकिंग वित्तीय मध्यस्थ एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय मध्यस्थ में अन्तर बताइये। गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं से आप क्या समझते हैं?
  25. प्रश्न- गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- वित्तीय मध्यस्थों के प्रकार बताइये।
  27. प्रश्न- वित्तीय मध्यस्थ क्या हैं?
  28. प्रश्न- वाणिज्य बैंकों के कार्यों की विवेचना कीजिए। वे किस प्रकार देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण हैं?
  29. प्रश्न- वाणिज्यिक बैंक के प्रमुख एवं अभिकर्ता सम्बन्धी कार्य कौन-कौन से हैं? तथा उनके अन्य कार्य भी बताइए।
  30. प्रश्न- वाणिज्यिक बैंकों का देश के आर्थिक विकास में क्या महत्व है?
  31. प्रश्न- आधुनिक व्यापार एवं वित्त के संदर्भ में बैंकों की कमियाँ बताइये।
  32. प्रश्न- भारतीय बैंकिंग व्यवस्था की प्रमुख कमियाँ बताइये।
  33. प्रश्न- शाखा बैंकिंग तथा इकाई बैंकिंग प्रणालियों से आप क्या समझते हैं? इनके गुण-दोषों की तुलना कीजिए तथा बताइये कि इन दोनों प्रणालियों में से कौन-सी प्रणाली भारत के लिए उपयुक्त है?
  34. प्रश्न- शाखा बैंकिंग के गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- इकाई बैंकिंग प्रणाली के गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- इकाई बैंकिंग प्रणाली व शाखा बैंकिंग प्रणाली में कौन श्रेष्ठ है? स्पष्ट कीजिए। एक श्रेष्ठ बैंकिंग प्रणाली के लक्षण बताइये।
  37. प्रश्न- भारत में जनसमुदाय की भिन्न-भिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कितने प्रकार के बैंकों का गठन किया गया है?
  38. प्रश्न- भारतीय बैंकिंग प्रणाली की संरचना पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक क्या हैं? इनके क्या कार्य हैं? ग्रामीण भारत में इनकी भूमिका तथा प्रगति का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैकों की प्रगति व उपलब्धियाँ बताइये।
  41. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की कमियों को दूर करने हेतु सुझाव दीजिए।
  42. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना के क्या उद्देश्य थे? क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की कार्यप्रणाली के सम्बन्ध में केलकर समिति के सुझाव समझाइए।
  43. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की कार्यप्रणाली के सम्बन्ध में केलकर समिति के सुझाव बताइए।
  44. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कार्य विवरण पर टिप्पणी लिखिए।
  45. प्रश्न- वाणिज्य बैंक एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में अन्तर बताइए।
  46. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की कमियाँ व समस्याएँ बताइये।
  47. प्रश्न- सहकारी साख संस्थाओं की प्रमुख समस्याएँ क्या हैं? इन्हें दूर करने के लिए सुझाव दीजिए। सहकारी साख ढाँचे को सुदृढ़ करने के लिए क्या सरकारी प्रयास किये गये हैं?
  48. प्रश्न- प्राथमिक कृषि साख समितियों के उन्नयन हेतु आप क्या सुझाव देंगे?
  49. प्रश्न- केन्द्रीय सहकारी बैंकों की क्या समस्याएं हैं?
  50. प्रश्न- केन्द्रीय सहकारी बैंकों के सुधार हेतु सुझाव दीजिए।
  51. प्रश्न- भारत देश में राज्य सहकारी बैंकों की क्या समस्याएं हैं?
  52. प्रश्न- राज्य सहकारी बैंकों के विकास हेतु सुझाव दीजिए।
  53. प्रश्न- सहकारी साख ढाँचे को सुदृढ़ करने के लिए क्या सरकारी प्रयास किये गये हैं?
  54. प्रश्न- प्राथमिक सहकारी समितियों की विशेषताओं को लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में सहकारी बैंक की कार्यप्रणाली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- सहकारी बैंक तथा वाणिज्यिक या व्यापारिक बैंक में अन्तर बताइए।
  57. प्रश्न- प्राथमिक सहकारी बैंक क्या है? उनकी ग्रामीण भारत में क्या भूमिका है?
  58. प्रश्न- भारत में राज्य सहकारी बैंकों का संगठन तथा कार्य समझाइये। राज्य सहकारी बैंकों को आप क्या सुझाव देंगे?
  59. प्रश्न- सहकारी साख संस्थाओं की प्रमुख समस्यायें क्या हैं? सहकारी साख ढाँचे को सुदृढ़ करने के लिए क्या सरकारी प्रयास किये गये हैं?
  60. प्रश्न- भूमि विकास बैंकों की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  61. प्रश्न- साख का आशय, परिभाषायें तथा आवश्यक तत्वों का वर्णन कीजिए। साख के महत्व का वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- साख का क्या महत्व होता है?
  63. प्रश्न- साख का वर्गीकरण किन आधारों पर किया जाता है? इसके वर्गीकरण को समझाइये।
  64. प्रश्न- समयावधि, उपभोग एवं सुरक्षा के आधार पर साख का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- स्वरूप के आधार पर ऋण का वर्गीकरण कीजिए। ऋण के आधार पर साख का वर्गीकरण कीजिए।
  66. प्रश्न- ब्याज के तरलता पसन्दगी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  67. प्रश्न- संस्थागत साख के आवंटन को निर्धारित करने वाले वित्तीय एवं गैर- वित्तीय घटकों को स्पष्ट कीजिए।
  68. प्रश्न- संस्थागत साख के आबंटन को निर्धारित करने वाले गैर-वित्तीय घटकों को स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- साख निर्माण की सीमाएँ बताइये।
  70. प्रश्न- तरलता प्रीमियम सिद्धान्त क्या है?
  71. प्रश्न- नवपरम्परावादी सिद्धान्त और पूर्ति क्या है? बॉण्ड की कीमत व बॉण्ड दर में क्या सम्बन्ध है?
  72. प्रश्न- "जमा द्रव्य ऋणों का सृजन करते हैं तथा ऋण जमा का सृजन करते हैं।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  73. प्रश्न- बैंक द्वारा साख सृजन पर प्रभाव डालने वाले घटकों की विवेचना कीजिए।
  74. प्रश्न- ब्याज दरों पर मुद्रा प्रसार के प्रभावों को बताइये।
  75. प्रश्न- भारतीय औद्योगिक विकास बैंक क्या है? इसके कार्यों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- भारतीय औद्योगिक विकास बैंक के कार्यो का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए-
  78. प्रश्न- भारतीय औद्योगिक वित्त निगम का वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- भारत में विकास बैंकों के कार्यकरण का आलोचनात्मक मूल्याँकन कीजिए।
  80. प्रश्न- भारत में गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों पर एक निबन्ध लिखिए।
  81. प्रश्न- भारत में गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों की प्रगति के क्या कारण हैं? इनकी क्या कमियाँ हैं? इन्हें दूर करने हेतु सुझाव भी दीजिए।
  82. प्रश्न- संस्थागत साख आवंटन की समस्या और नीतियों की व्याख्या कीजिए।
  83. प्रश्न- राज्य वित्तीय निगमों का संक्षिप्त परिचय देते हुए इनके कार्यों को बताइये।
  84. प्रश्न- भारतीय यूनिट ट्रस्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  85. प्रश्न- विकास बैंक क्या है? विकास बैंक के प्रमुख कार्य लिखिए।
  86. प्रश्न- उद्योगों को वित्त प्रदान करने वाली वित्तीय संस्थाओं के नाम बताइये। भारत में विकास बैंकों की संरचना बताइये।
  87. प्रश्न- भारतीय औद्योगिक विकास बैंक किस प्रकार से औद्योगिक वित्त प्रदान करता है?
  88. प्रश्न- भारतीय निर्यात-आयात बैंक की स्थापना, कार्यों तथा संचालित किये जाने वाले कार्यक्रमोंको समझाइये।
  89. प्रश्न- भारतीय निर्यात-आयात बैंक द्वारा विदेशी व्यापार के संवर्धन हेतु कौन-कौन से कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं?
  90. प्रश्न- राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक से आप क्या समझते हैं? नाबार्ड द्वारा कृषि एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में क्या कार्य किये जाते हैं? इस बैंक की सफलताओं का वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- भारत में विकास बैंक की मुख्य कमियाँ क्या हैं?
  92. प्रश्न- गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  93. प्रश्न- विकास बैंकों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  94. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक के संगठन एवं कार्यो को समझाइये।
  95. प्रश्न- रिजर्व बैंक के केन्द्रीय बैंकिंग सम्बन्धी प्रमुख कार्यों को बताइए।
  96. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की सफलताओं एवं असफलताओं का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की असफलताओं पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- साख नियंत्रण से आप क्या समझते हैं? साख नियंत्रण की कौन-कौन सी विधियाँ हैं? साख नियंत्रण की परिमाणात्मक विधियों को समझाइये।
  99. प्रश्न- साख नियंत्रण की विधियाँ बताइये।
  100. प्रश्न- परिमाणात्मक या संख्यात्मक साख नियंत्रण से आप क्या समझते हैं? बैंक दर विधि को स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- खुले बाजार की क्रियाओं से क्या आशय है? इनके उद्देश्य एवं परिसीमाएँ बताइए।
  102. प्रश्न- नकद संचय अनुपात से आप क्या समझते हैं? तरल कोषानुपात विधि क्या है?
  103. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की वर्तमान साख नियंत्रण व्यवस्था का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  104. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की साख नियन्त्रण व्यास्था की क्या आलोचनायें हैं?
  105. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के मुख्य प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की विद्यमान साख नियंत्रण यान्त्रिकी का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  107. प्रश्न- भारत में प्रशासित ब्याज दर का इतिहास लिखिए। भारत में ब्याज दरों के नियमन के क्या कारण हैं?
  108. प्रश्न- भारत में ब्याज दरों के विनियमन के क्या कारण हैं?
  109. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक के विकासात्मक कार्य बताइए।
  110. प्रश्न- ब्याज दर किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार की ब्याज दरों को स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- भारतीय अर्थव्यवस्था पर मुद्रा-स्फीति और मुद्रा-स्फीति के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक के वर्जित कार्य कौन-कौन से हैं? आर. बी. आई. किस प्रकार एन. बी. एफ. सी. का नियंत्रण करती है?
  113. प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए - (a) मौद्रिक नीति (b) बैंक दर (c) नकद कोषानुपात
  114. प्रश्न- भारतीय मौद्रिक नीति के उद्देश्य लिखिए।
  115. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक का उद्भव बताइए। रिजर्व बैंक साख सूचना कार्यालय क्या है?
  116. प्रश्न- साख नियंत्रण के विभिन्न उद्देश्यों को बताइये।
  117. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना कब हुई? इसके प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  118. प्रश्न- भारत जैसे विकासशील देश के लिए उपयुक्त मौद्रिक नीति की रूपरेखा का सुझाव दीजिए।
  119. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की शक्तियों पर एक लेख लिखिए।
  120. प्रश्न- भारतवर्ष में भावी ब्याज दरों की प्रत्याशाएँ लिखिए। भारत वर्ष में ब्याज दरों के विनियमन की सीमाएँ लिखिए।

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